आत्मविश्वास शब्द दो शब्दों का संयोजन है आत्म और विश्वास अर्थात् स्वयं पर विश्वास। स्वयं पर विश्वास तब होगा जब स्वयं पर नियंत्रण होगा। जीवन के सभी क्रियाकलापों पर नियंत्रण कर सक पाना आसान नहीं। कुछ वाह्य क्रियाकलापों पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं रहता। नियंत्रण नहीं हो पाने से हमें दुख होता है। और दुख हमारी मानसिकता को नकारात्मकता की ओर अग्रसर करता है। यह प्रक्रिया व्यक्ति के व्यक्तित्व पर निर्भर करती है। समस्याओं के समाधान का सबका अपना-अपना तरीक़ा होता है। जब चीज़ें हमारे अनुसार होतीं हैं तो हमारा आत्मविश्वास और बढ़ता जाता है। और इसके विपरीत जब चीज़ें हमारे अनुसार नहीं होती हैं तो धीरे-धीरे हमारा आत्मविश्वास भी कमजोर होने लगता है। जीवन के संघर्ष भी आत्मविश्वास को बढ़ाने या घटाने में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं। यदि वातावरण का अध्ययन करें तो हम पाते हैं कि हमारा जीवन राजनीतिक वातावरण, आर्थिक वातावरण, सामाजिक परिवेश, तकनीकी परिवेश और क़ानूनी वातावरण के आस पास ही घूमता रहता है। प्रत्येक व्यक्ति इन वातावरणों से प्रभावित रहता ही है।आत्मविश्वास के और मज़बूत होने में इन वातावरणों की महती भूमिका होती है। इन पर नियंत्रण कर सक पाना मुश्किल है परंतु इनके साथ स्वयं को समायोजित कर लेना बुद्धिमत्ता है। उस व्यक्ति का आत्मविश्वास सबसे अधिक मज़बूत होता है जो अपना काम आसानी से निकलवा लेता है। वह अवसरोचित अपनी बुद्धि का समुचित उपयोग करता है जिससे कि बाधाओं से बचा जा सके और कम समय में अपना कार्य आसानी से पूर्ण किया जा सके। कार्य सफलतापूर्वक पूर्ण होने पर आत्म विश्वास और प्रबल होता है। अत: जीवन में सकारात्मकता के साथ अपनी बुद्धि और विवेक की अवसरोचित उपयोग कर अपने अभीष्ट की सिद्धि करना ही विजेता होना है। ऐसा जीवन जीने वाला व्यक्ति के भीतर असीम ऊर्जा का संचार होने लगता है और वह सदा जीतता जाता है। उसका आत्मविश्वास और बढ़ता जाता है।
Tuesday, 29 June 2021
जीवन में आत्मविश्वास: डॉ. पुनीत द्विवेदी
आत्मविश्वास शब्द दो शब्दों का संयोजन है आत्म और विश्वास अर्थात् स्वयं पर विश्वास। स्वयं पर विश्वास तब होगा जब स्वयं पर नियंत्रण होगा। जीवन के सभी क्रियाकलापों पर नियंत्रण कर सक पाना आसान नहीं। कुछ वाह्य क्रियाकलापों पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं रहता। नियंत्रण नहीं हो पाने से हमें दुख होता है। और दुख हमारी मानसिकता को नकारात्मकता की ओर अग्रसर करता है। यह प्रक्रिया व्यक्ति के व्यक्तित्व पर निर्भर करती है। समस्याओं के समाधान का सबका अपना-अपना तरीक़ा होता है। जब चीज़ें हमारे अनुसार होतीं हैं तो हमारा आत्मविश्वास और बढ़ता जाता है। और इसके विपरीत जब चीज़ें हमारे अनुसार नहीं होती हैं तो धीरे-धीरे हमारा आत्मविश्वास भी कमजोर होने लगता है। जीवन के संघर्ष भी आत्मविश्वास को बढ़ाने या घटाने में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं। यदि वातावरण का अध्ययन करें तो हम पाते हैं कि हमारा जीवन राजनीतिक वातावरण, आर्थिक वातावरण, सामाजिक परिवेश, तकनीकी परिवेश और क़ानूनी वातावरण के आस पास ही घूमता रहता है। प्रत्येक व्यक्ति इन वातावरणों से प्रभावित रहता ही है।आत्मविश्वास के और मज़बूत होने में इन वातावरणों की महती भूमिका होती है। इन पर नियंत्रण कर सक पाना मुश्किल है परंतु इनके साथ स्वयं को समायोजित कर लेना बुद्धिमत्ता है। उस व्यक्ति का आत्मविश्वास सबसे अधिक मज़बूत होता है जो अपना काम आसानी से निकलवा लेता है। वह अवसरोचित अपनी बुद्धि का समुचित उपयोग करता है जिससे कि बाधाओं से बचा जा सके और कम समय में अपना कार्य आसानी से पूर्ण किया जा सके। कार्य सफलतापूर्वक पूर्ण होने पर आत्म विश्वास और प्रबल होता है। अत: जीवन में सकारात्मकता के साथ अपनी बुद्धि और विवेक की अवसरोचित उपयोग कर अपने अभीष्ट की सिद्धि करना ही विजेता होना है। ऐसा जीवन जीने वाला व्यक्ति के भीतर असीम ऊर्जा का संचार होने लगता है और वह सदा जीतता जाता है। उसका आत्मविश्वास और बढ़ता जाता है।
Sunday, 20 June 2021
योग: कर्मसु कौशलम् : सनातन ने विश्व के कल्याण के लिये योग दिया - डॉ. पुनीत द्विवेदी
Monday, 7 June 2021
नीयत, नीति और निरंतर परिश्रम से सकारात्मक नतीजों की समीक्षा कर गये प्रधानमंत्री मोदी- डॉ. पुनीत द्विवेदी
नीयत, नीति और निरंतर परिश्रम से सकारात्मक नतीजों की समीक्षा कर गये प्रधानमंत्री मोदी- डॉ. पुनीत द्विवेदी
आज के अपने उद्बोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने वैक्सीनेशन हेतु देश की जनता से एक भावनात्मक अपील की। विगत साठ वर्ष का हवाला देकर यह बताया कि वैक्सीन को लेकर कैसे विगत कई वर्षों से भारतीय समाज की उपेक्षा की जाती रही है। विदेशों पर वैक्सीनेशन हेतु हमारी निर्भरता हमें सदा खलती रही है। प्रधानमंत्री का यह बिंदु आँखें खोल देने वाला था कि पोलियो, चेचक और हेपेटाईटिस-बी आदि के टीके जब विदेशों में लग जाते थे तब भारत का नंबर आता था। जिसमें कई बार १०-१० वर्ष तक लग जाते थे; और हम घुट-घुट कर मरते संघर्ष करते रहते थे। दो बड़े स्वदेशी वैक्सीन निर्माताओं के आगे आने से देश आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ा है। वैक्सीन के लिये अब हम आत्मनिर्भर हो चुके हैं। विदेशों की राह तकना अब बंद हुआ है। जिसका श्रेय देश के प्रतिभावान वैज्ञानिकों एवं वैक्सीन उत्पादक दोनों कंपनियों को जाता है।
प्रधानमंत्री के अनुसार दूसरी लहर से अभी हमारी लड़ाई जारी है । जिसमें वैक्सीन जीवन रक्षक के रूप में पहचानी गयी है। कोविड प्रोटोकॉल का मौलिकता से पालन करना ही हमारे लिये सुरक्षा कवच है। ‘मिशन इंद्रधनुष’ के माध्यम से वैक्सीन की डोज़ प्रत्येक नागरिक तक शीघ्र पहुँचाने की बात को भी प्रधानमंत्री ने प्रमुखता से उठाया। वैक्सिनेशन अभियान का मज़ाक़ उड़ाने वालों, भारतीय वैज्ञानिकों की मेधा शक्ति पर प्रश्न चिह्न लगाने वालों को प्रधानमंत्री ने आड़े हाथों लिया। भारतीय वैक्सीन के प्रभाव को लेकर अनैतिक रूप से फैलाये जा रहे भ्रम को भी प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के साथ धोखा बताया। भोले-भाले नागरिकों को वैक्सीन के संबंध में भ्रमित जानकारी देकर उन्हें वैक्सीन लगवाने से रोकना; उनके स्वास्थ्य अर्थात् जीवन के साथ खिलवाड़ बताया। ऐसे भ्रम फैलाने वाले से जनता को सतर्क रहने की अपील की।
प्रधानमंत्री ने कोविड की दूसरी वेब में अस्पतालों की व्यवस्था, दवाओं का उपलब्धता, आक्सीजन की उपलब्धता, बेड की बढ़ी संख्या, टेस्टिंग लैब आदि की संख्या बढ़ाने के लिये युद्ध स्तर पर लगे रहे सभी संस्थानों को साधुवाद दिया। जिसमें रेलवे, वायुसेना, जल सेना, थल सेना आदि प्रासंगिक हैं। पहली लहर की भॉति इस बार भी गरीब नागरिकों की चिंता को दृष्टिगत रखते हुये दीपावली तक लगभग 8 महीने तक 80 करोड़ घरों को नि:शुल्क अनाज की व्यवस्था का संकल्प भी दुहराया। प्रधानमंत्री ने कहा कि पूरा प्रयास रहेगा कि कोई गरीब असहाय ख़ाली पेट ना सोये। वैक्सीनेशन के लिये युद्ध स्तर पर जागरूकता अभियान चलाये जाने की आवश्यकता पर भी प्रधानमंत्री ने ज़ोर दिया।
इस भावनात्मक भाषण में प्रधानमंत्री ने सबका-साथ, सबका-विकास के मंत्र को पुन: दुहराया। पिछले १०० वर्षों में आधुनिक विेश्व में आयी इस सबसे बड़ी महामारी ने पूरे विश्व को त्रस्त किया है। परंतु, इस बार भारत की लड़ाई मज़बूत रही है।अस्पतालों के इंफ़्रास्ट्रक्चर मजबूत हो गये हैं। वैक्सीन का निर्माण युद्ध स्तर पर होने लगा है। भारत में वैक्सीनेशन की तीव्रता समूचे विश्व के लिये आश्चर्य की बात है। हमें गर्व है कि हम एक संघर्षशील राष्ट्र हैं। भारत जीतेगा-कोरोना हारेगा।
(लेखक: डॉ. पुनीत कुमार द्विवेदी, मॉडर्न ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूट्स, इदौर में प्रोफ़ेसर एवं समूह निदेशक की भूमिका में कार्यरत हैं)
Contact: +91-9993456731 Email: punit.hyd@gmail.com, www.punitkumardwivedi.com
Friday, 4 June 2021
विश्व पर्यावरण दिवस विशेष-पर्यावरण संरक्षण ही संजीवनी: डॉ. पुनीत द्विवेदी
पर्यावरण संरक्षण ही संजीवनी: डॉ. पुनीत द्विवेदी