इंडस्ट्री-इंस्टीट्यूट-इंटरफ़ेस से प्रासंगिक होती शैक्षणिक योग्यता -डॉ. पुनीत कुमार द्विवेदी
वर्तमान समय त्वरित गति से परिवर्तित हो रहा है। कब कौन सा व्यापार-व्यवसाय प्रासंगिक रहेगा और कौनसे का अस्तित्व समापन की ओर बढ़ेगा, कह पाना संभव नहीं है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने नवाचारों के साथ कई नये प्रयोग एवं अनुप्रयोग किये हैं और उनके क्रियान्वयन हेतु रणनीतिकार लगे हुये हैं। गुणवत्ता परक उत्कृष्ट प्रयोगमूलक शिक्षा जिसका व्यापार व्यावसाय में सर्वकार है, वही उपयोगी सिद्ध होगी। हम भारत में इंडस्ट्री 4.0 की बात कर रहे हैं जिसमें इंडस्ट्रीज़ के पूर्ण ऑटोमेशन की बात पर बल दिया जा रहा है और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं मशीन लर्निंग गति को तेज करने में सहायक सिद्ध हो रहा है।
यह विडंबना है कि शिक्षण संस्थानों में जो पाठ्यक्रम है उसका उद्योग अथवा व्यापार में उतनी प्रासंगिकता नहीं है।समय-समय पर पाठ्यक्रमों में परिवर्तन, इंडस्ट्री ओरियेंटेड पाठ्यक्रम का निर्माण एवं क्रियान्वयन एक प्रमुख चुनौती बनी हुयी है। कारण है कि इंडस्ट्री और शिक्षण संस्थानों में आपसी तालमेल की कमी, एक साथ शोध एवं विकास की चर्चा ना करना, बदलते परिवेश के अनुसार एक साथ नहीं बदल पाना, जो चल रहा है वही चलता रहे का भाव इत्यादि। बदलते परिवेश में अब यह संभव नहीं। समय-समय पर अप-टू-डेट होना समय की माँग है अन्यथा फेल्योर संभव है।
कोरोना काल में शिक्षा के गुणवत्ता के स्तर में कमी आयी है। सभी को पास कर देना, ओपन बुक, ऑनलाईन परीक्षा, ऑनलाईन लेक्चर्स, ऑन लाईन प्रैक्टिकल परीक्षा तात्कालिक समस्या थी परंतु इसके परिणाम भयावह एवं दूरगामी प्रभाव वाले होंगे, यह चिंता का विषय भी है। प्रश्न यह भी उठता है है कि क्या उच्च शिक्षा सबके लिये आवश्यक है ? आज जब हम उद्यमिता एवं कौशल विकास की बात करते हैं तो कई बार संदेह की भी स्थिति आती है और मंशा पर संदेह भी होता है।
स्टार्टअप्स के क्षेत्र में सरकार का फ़ोकस प्रशंसनीय है और विगत कुछ वर्षों में नवाचार और स्टार्टअप्स के क्षेत्र में भारत की अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति उल्लेखनीय भी है। यह गर्व का विषय है। स्टार्टअप्स के क्षेत्र में अपार संभावनायें भी हैं और बहुत कुछ संस्थागत विकास करने की आवश्यकता भी। ए.आई.सी.टी.ई, शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार द्वारा प्रारंभ की गई पहल- इंस्टीट्यूट इनोवेशन काऊंसिल के द्वारा देश के प्रत्येक उच्च शिक्षा एवं तकनीकि शिक्षा के शैक्षणिक संस्थानों में नवाचार और स्टार्टअप्स की नर्सरी तैयार हो रही है। वहीं दूसरी तरफ़ स्कूलों में अटल टिंकरिंग लैब्स के द्वारा रोबोटिक्स की शिक्षा प्रदान कर नवाचार का ओरिएंटेशन उस दिशा में सोचने के लिये प्रेरित कर रहा है।
परंतु, ये सब तभी सफल हैं जब शैक्षणिक संस्थानों का शोध संस्थानों एवं उद्योगों के साथ सामंजस्यपूर्ण समन्वयन नियमित रूप से होता रहे। इंडस्ट्री-इंस्टीट्यूट-इंटरफ़ेस के माध्यम से थियरी और प्रैक्टिकल के बीच सामंजस्य स्थापित हो सक पायेगा। विद्यार्थियों में अच्छी समझ डेवेलप होगी जो उन्हें एक अच्छा, प्रभावशाली, कुशल पेशेवर बना सक पायेगी। ज़िम्मेदारी शिक्षक समाज एवं उद्योग नेतृत्वकर्ताओं की होगी।
लेखक ✍️
डॉ. पुनीत कुमार द्विवेदी, मॉडर्न ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूट्स इंदौर में प्रोफ़ेसर एवं समूह निदेशक के रूप में कार्यरत हैं।
मो० 9993456731
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