Tuesday, 5 September 2017

फ़ोर्ब्स के अनुसार भ्रष्टाचारी भारत ?

भारत नहीं, भारतीय लोग हैं भ्रष्टाचारी ।
देश कैसे भ्रष्टाचारी हो सकता है? क्या यह भारत वर्ष की बढ़ती साख को धूमिल करने का एक गंदा प्रयास है? भ्रष्टाचारी यदि कोई है तो वह व्यक्ति है जो या तो कोई व्यापारी है, व्यावसायी है, प्रोफ़ेशनल है, नौकरशाह है, कर्मचारी है, NGO है, इत्यादि।
फ़ोर्ब्स कितना बिकाऊ है? 
मार्केटिंग के नाम पर कई ऐसे मैगज़ीन अवार्ड दिलाने से लेकर विज्ञापन कराने तक का ज़िम्मा उठा रहे हैं बदले में मोटी रक़म वसूल कर रहे हैं। अयोग्य व्यक्ति अथवा संस्थान का महिमा मंडन कर उनके स्वार्थ सिद्धि का माध्यम बन रहे हैं। कहीं हम सही में तो ग़लत नहीं हैं?
हमें अपने देश पर  गर्व है?
भारत हमारा देश है। देश की मर्यादा का ध्यान हमें रखना है। ठीक वैसे ही दालें हम अपने सिबिल स्कोर का ध्यान रखते हैं। विश्व पटल पर भारत की बदनामी का कारण कहीं हम स्वयं तो नहीं? कहीं ऐसी तो नहीं कुछ अपने निजी स्वार्थ के चलते हमने कुछ ऐसे कदम उठाए जिससे देश की गरिमा को ठेस पहुँचता हो। हमें अपने देश की गरिमा की चिंता कितनी है? हमें कितना अपने देश पर गर्व है?
हमें भारत नहीं फ़ोर्ब्स मैगज़ीन पर कितना गर्व है?
हमारा भारतीय समाज, हमारी संस्कृति, हमारी रहन-सहन हमारे लिए गर्व का कारण होना चाहिए। कोई तीसरा व्यक्ति, संगठन, संस्था हमारी प्रामाणिकता को सिद्ध करे और हम उसके मार्केटिंग स्टंट का शिकार बन स्वयं की संस्कृति, देश, समाज का उपहास करें या देश एवं समाज के अहित की मनगढ़ंत बिकाऊ बातें प्रचारित-प्रसारित कर ओछे जनजागरण का कारण बनें, यह बामपंथी विचार का परिचायक है। अगर देश में भ्रष्टाचार है तो हमारा क्या योगदान है उसे हटाने में, यह सुनिश्चित करें। उसके बारे में मात्र लोगों को सूचित न करें।
हम कितने देशद्रोही हैं?
भारतवर्ष को भ्रष्टाचारी बनाने में अपने योगदान को स्मरण करें। हम भारत से अलग नहीं हैं । हम ही भारत हैं। जिस दिन यह भाव हमारे भीतर आ जाएगा उस दिन से हमें किसी फ़ोर्ब्स मैगज़ीन की प्रामाणिकता की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। हम देशभक्त बने, देशद्रोही नहीं। सर्वप्रथम देश के प्रति सम्मान रखें।
#IAmNewIndia

1 comment:

  1. भारत नहीं, भारतीय लोग हैं भ्रष्टाचारी ।
    देश कैसे भ्रष्टाचारी हो सकता है? क्या यह भारत वर्ष की बढ़ती साख को धूमिल करने का एक गंदा प्रयास है? भ्रष्टाचारी यदि कोई है तो वह व्यक्ति है जो या तो कोई व्यापारी है, व्यावसायी है, प्रोफ़ेशनल है, नौकरशाह है, कर्मचारी है, NGO है, इत्यादि।
    फ़ोर्ब्स कितना बिकाऊ है?
    मार्केटिंग के नाम पर कई ऐसे मैगज़ीन अवार्ड दिलाने से लेकर विज्ञापन कराने तक का ज़िम्मा उठा रहे हैं बदले में मोटी रक़म वसूल कर रहे हैं। अयोग्य व्यक्ति अथवा संस्थान का महिमा मंडन कर उनके स्वार्थ सिद्धि का माध्यम बन रहे हैं। कहीं हम सही में तो ग़लत नहीं हैं?
    हमें अपने देश पर गर्व है?
    भारत हमारा देश है। देश की मर्यादा का ध्यान हमें रखना है। ठीक वैसे ही दालें हम अपने सिबिल स्कोर का ध्यान रखते हैं। विश्व पटल पर भारत की बदनामी का कारण कहीं हम स्वयं तो नहीं? कहीं ऐसी तो नहीं कुछ अपने निजी स्वार्थ के चलते हमने कुछ ऐसे कदम उठाए जिससे देश की गरिमा को ठेस पहुँचता हो। हमें अपने देश की गरिमा की चिंता कितनी है? हमें कितना अपने देश पर गर्व है?
    हमें भारत नहीं फ़ोर्ब्स मैगज़ीन पर कितना गर्व है?
    हमारा भारतीय समाज, हमारी संस्कृति, हमारी रहन-सहन हमारे लिए गर्व का कारण होना चाहिए। कोई तीसरा व्यक्ति, संगठन, संस्था हमारी प्रामाणिकता को सिद्ध करे और हम उसके मार्केटिंग स्टंट का शिकार बन स्वयं की संस्कृति, देश, समाज का उपहास करें या देश एवं समाज के अहित की मनगढ़ंत बिकाऊ बातें प्रचारित-प्रसारित कर ओछे जनजागरण का कारण बनें, यह बामपंथी विचार का परिचायक है। अगर देश में भ्रष्टाचार है तो हमारा क्या योगदान है उसे हटाने में, यह सुनिश्चित करें। उसके बारे में मात्र लोगों को सूचित न करें।
    हम कितने देशद्रोही हैं?
    भारतवर्ष को भ्रष्टाचारी बनाने में अपने योगदान को स्मरण करें। हम भारत से अलग नहीं हैं । हम ही भारत हैं। जिस दिन यह भाव हमारे भीतर आ जाएगा उस दिन से हमें किसी फ़ोर्ब्स मैगज़ीन की प्रामाणिकता की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। हम देशभक्त बने, देशद्रोही नहीं। सर्वप्रथम देश के प्रति सम्मान रखें।
    #IAmNewIndia

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