Wednesday, 28 April 2021

मर्यादित राष्ट्रमंगल भाव को लोकमंगल हित जनमानस तक पहुँचाते श्रीराम- डॉ. पुनीत द्विवेदी


मर्यादित राष्ट्रमंगल भाव को लोकमंगल हित जनमानस तक पहुँचाते श्रीराम- डॉ. पुनीत द्विवेदी 

• सामाजिक समरसता के प्रणेता रहे हैं श्री राम।
• मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम त्याग और संघर्षों के पर्याय रहे हैं। 
• वसुधैव कुटुम्बकम् के प्रचारक रहे हैं श्री राम। 
• लोक कल्याण एवं प्राणी मात्र के कल्याण के लिये निज जीवन अर्पित किया श्रीराम ने। 

मर्यादा पुरुषोत्तम लोक कल्याण के भाव को जन-जन तक पहुँचाने वाले श्रीराम भारतीय और विश्व समाज में पूजित हैं। ज्ञातव्य है कि ‘त्याग ही राम की महिमा है’ और राम त्याग के पर्याय। जन्म से महापरिनिर्वाण तक श्री राम का जीवन त्याग एवं संघर्षों का जीवन रहा है। जीवन के प्रत्येक क्षण में त्याग भाव के साथ संघर्षों में मनुष्य जीवन को महान उदाहरण बनाकर लोक कल्याण के द्वारा राष्ट्र को परंवैभव की ओर अग्रसर करने का मार्ग श्री राम ने प्रशस्त किया है। 

मूल्यों के साथ जीवन प्रबंधन के द्वारा कैसे लोकमंगल के भाव को प्रमुखता दी जा सकती है, इसे दशरथ नंदन राजा राम ने चरितार्थ किया है। जीवन के प्रत्येक पड़ाव पर मनुष्य जीवन में नैतिक मूल्यों की प्रासंगिकता के पर्याय रहे हैं श्री राम। विभिन्न विचारधाराओं के साथ सामन्जस्य स्थापित कर जगती के कल्याण के लिये अपने जीवन को उदाहरण स्वरूप प्रस्तुत करने वाले जन-नायक रहे हैं श्री राम। 

ज्ञान और शील के माध्यम से विश्व कल्याण एवं राष्ट्रीय  एकता के लिये एक तपस्वी की भाँति भारतवर्ष में अलख जगाने  की शक्ति हैं श्री राम। जिन्होंने बाल्यकाल से ही समाज कल्याण हित अपने जीवन को राष्ट्र के नाम समर्पित कर हम सबके प्रेरणापुरुष बने। श्री राम का जीवन प्रत्येक भारतीय एवं विश्व समुदाय के लिये भी सदा प्रासंगिक रहा है और रहेगा क्योंकि श्री राम ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के भाव को पूरे विश्व में प्रचारित-प्रसारित करने के लिये कृतसंकल्पित रहे हैं। 

तत्कालीन हिंदु समाज को एकजुट कर सुमंगलम् के लक्ष्यों को साध कर समाज के सुदृढ़ समायोजन के कारक रहे हैं श्री राम। 
समाज में उपेक्षित वर्ग के कल्याण हित, उनके जीवन स्तर को सुदृढ़ और सुंदर बनाने हित अपने जीवन में संघर्षों को चुनकर आगे बढ़ने वाले समाज सुधारक रहे हैं श्री राम। 

भील, केवट, अहल्या, बानर, गिद्ध, राक्षस अर्थात् मनुष्य ही नहीं अपितु प्राणी मात्र के कल्याण के लिये अपने जीवन को अर्पित कर देने वाले महापुरुष रहे हैं श्री राम। माता शबरी के जूठे बेरों का सेवन कर, निषाद राज गुह को हृदय से लगाकर, केवट के प्रेम से विह्वल हो उपेक्षित हिंदु भील समुदाय को मुख्य धारा से जोड़ने के लिये सामाजिक समरसता के प्रणेता रहे हैं श्री राम।

आईये, रामनवमी के पावन अवसर पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के जीवन से सीख लेकर वर्तमान एवं भविष्य की पीढ़ियों को सम्यक् और संस्कारित बनायें। लोक मंगल ही सनातन हिंदु समाज की विशेषता है जिसमें जननायक, मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का जीवन सदा प्रेरणादायी रहा है और रहेगा। 

( लेखक डॉ.पुनीत कुमार द्विवेदी (शिक्षाविद्) मॉडर्न  ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूशन्स, इंदौर में प्रोफ़ेसर एवं समूह निदेशक की भूमिका में कार्यरत हैं)




 

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