राजनीतिक सुतियापा पान में कत्था और चूना जितना ही महत्वपूर्ण होता है, यह जान लिया है। लाल रंग की पिक थूककर मातृभूमि पर गंदगी फैलाना तथा माँ भारती के पुनीत ऑचल की मर्यादा को आहत करना, आज की तारीख में और भविष्य में कभी भी ,सबसे बडा सूतियापा कहा जाएगा।
देश की आबरू से खिलवाड करना मणिकंकर नय्यर जैसे सूतियाओं की आदत सी बन गई है। आपको बता दें -कि मणिकंकर नय्यर देश में उपलब्ध सूतियाओं की एक प्रमुख दूषित नस्ल है, जिसमें राष्ट्रद्रोह कूट-कूट कर भरा है।
दुश्मन देश की धरती पर राष्ट्र विरोधी गतिविधियों का जिक्र करना या उन्हें करने की मंसा रखना इस दूषित नस्ल की प्रमुख विशेषता है। 'कुत्ते की दुम टेढी' वाले प्रसंग का जिक्र करके बेचारे पालतू और वफादार कुत्तों के समक्ष "असहिष्णुता" का परिचय देना मुझे कतई पसंद नहीं।
अतः आपसे निवेदन है कि इन (मणिकंकर नय्यर) जैसे राष्ट्रद्रोही कुत्तों के प्रति निश्चित ही असहिष्णुता का भाव रखें और बेचारे पालतू, वफादार कुत्तों से सहिष्णुता बरतें।यही वास्तविक राष्ट्रभक्ति होगी।
(-लेखक किसी भी देश की तत्कालीन राजनीतिक घटना से प्रभावित नहीं हैं)
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