अभिवादन ..... !
मनुष्य (मनु-सतरूपा) का सेक्युलर व्यक्तित्व क्या उसके जीवन की एक अवस्था है? सेक्युलर होना क्या एक मनोवैज्ञानिक रोग है? वह कौन है, जो सेक्युलर नहीं है? मनुष्य को सेक्युलर होना या नहीं होना चाहिए? क्या सेक्युलर माता-पिता सेक्युलर संतानों को जन्म देती है? यदि हाँ, तो हर पहलवान का बेटा पहलवान क्यों नहीं होता? या कि सेक्युलर होने से तात्पर्य उस बिगडैल संतति से है जिनके माता-पिता तो मनुवादी थे पर वह...? सबकुछ कन्फ्यूजिंग है।
बतादें कि, पूरी विकिपीडिया खंगालने के पश्चात भी पंथनिरपेक्ष/धर्मनिरपेक्ष अथवा सेकुलरिज्म पर उतना मसाला नहीं मिला जितनी मीडिया प्रोड्यूस कर प्रसारित कर रही है। यह राजनीतिक षड्यंत्र अब समझ में आया। राजनेता या राजनीतिक दल जनता को उन्हीं इश्यू पर गुमराह कर सकते हैं जिनमें आवश्यक मात्रा में लिटरेचर उपलब्ध ना हो। विकीपीडिया की असमर्थता देखते ही मुझे यह शक हुआ कहीं विकिपीडिया भी तो सेकुलर नहीं हो गयी।
(लेखक के विचार स्वयं के जीवन के विशेष क्षणों में घटित हुयी विभिन्न अनुभूतियों का दुष्परिणाम है।)
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