मित्रों, मतदान में वह शक्ति जो कि राजनीतिक पर्यावरण में आमूलचूल परिवर्तन कर राष्ट्र निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शायद हमें इसका अनुभव होगा कि यदि कभी किसी बार हमने मतदान नहीं किया और एक अयोग्य व्यक्ति पदासीन हो गया । जिसका हमें बाद में बड़ा ही क्षोभ रहता है। ध्यान रहे, अयोग्य का पदासीन होना और हमारा मतदान नहीं करना दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। दोषपूर्ण व्यवस्था से हम विगत कई दशकों से जूझ रहे होते हैं और सोचते हैं कि मतदान करने से कोई फ़ायदा नहीं। अत: अब मतदान करने से कोई मतलब नहीं। और हम मतदान करना छोड़ देते हैं। परिणाम स्वरूप पुन: वह तथाकथित अयोग्य पदासीन हो जाता है।
होना ये चाहिए कि यदि हम नेतृत्व से प्रभावित नहीं हैं । कारण यह है कि- व्यवस्थाएँ उत्कृष्ट नहीं हों पा रही हैं। शासन- प्रशासन अप्रभावी है। पुलिस व्यवस्था चरमरा गई है। लूट-अत्याचार, घोटाले आदि अपने चरम पर हैं। तो हमें नेतृत्व को बदल देना चाहिए। मतदान में वह शक्ति है जो कि समय-समय पर बदलाव को ला सकती है। विकास के पक्षधर सभी मतदान का समर्थन करते है। जितनी अधिक नागरिक सहभागिता होगी उतने ही उत्तम चुनाव के परिणाम होंगे। मतदान हमारा अधिकार है। वर्तमान सरकार का अप्रभावी होना बदलाव की ओर इशारा करता है।
अप्रभावी, अयोग्य सरकार को बदल कर प्रभावी सरकार की स्थापना करना ही एक समझदार मतदाता और नागरिक का कर्तव्य है। आईए, प्रदेश कोई भी हो अपने मतदान अधिकार का प्रयोग आगामी चुनावों में कर राष्ट्र निर्माण में अपना बहुमूल्य योगदान दें। स्वस्थ, पूर्ण बहुमत वाली निर्णायक सरकार का गठन करें और राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करें। राष्ट्रहित में वोट अवश्य दें। मतदान अवश्य करें।
डॉ० पुनीत कुमार द्विवेदी
मो० 7869723847
डॉ० पुनीत कुमार द्विवेदी
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