Friday, 27 January 2017

कविता: जय हिंद की सेना

सेना पर मुझको गर्व अटल।
नेतृत्व प्रखर बलशाली है।
भारत मॉ पर उठने वाली
तर्जनी काट दो, गाली है।

आतंकवाद का मज़हब क्या?
इस क्षण सबको बतला देना।
दहशतगर्दों के घर घुसकर,
गर्दनें काट कर ला देना।

भारत मॉ का सम्मान करें !
अरिमुण्डों के हम हार गढ़ें!
चहुंदिश शान्ति सद्भाव बढ़े!
भारत मॉ की जयकार रहे।


कायर-बर्बर-धोखेबाज़ी का,
मंत्र सदा जपने वालों।
अब अंत तुम्हारा आया है।
जहरीलें सर्पों , विष प्यालों।

भारत की ये सेनाएँ अब,
अस्तित्व मिटा देंगी तेरा।
आतंक मिटा देंगी तेरा।
सर्वस्व मिटा देंगी तेरा।

भारत भूमि यह शक्तिमान!
हमको हमपर पूरा अभिमान!
नापाक इरादे वालों का,
मिट जाएगा नामो निशान!!

(डॉ. पुनीत द्विवेदी "क्रान्तिकारी" द्वारा रचित तथा भारतवर्ष की सेना को समर्पित-)


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